SANTOSH HI JEEVAN KA PARAM SUKH HOTA HAI

संतोष ही जीवन का परम सुख होता है...


BY AMIT ANANT

संतोष रखने से परम सुख मिलता है।
स्वस्थ रहने से करम सुख मिलता है।
सच्चे मन से मानव कल्याण करना,
मानवता रखने से धरम सुख मिलता है।।

     SANTOSH HI JEEVAN KA PARAM SUKH HOTA HAI...संतोष ही जीवन का परम सुख होता है मनुष्य पूरे जीवन को भाग दौड़ में व्यतीत करता है जो कि मनुष्य के कर्मो के अनुसार मनुष्य के पास सब कुछ होता है परन्तु मनुष्य को संतोष नही होता.... मनुष्य की प्रवृत्ति ऐसे हो जाती है कि मानो पूरे जग का सुख उसको ही मिल जाये जो कि ऐसा हो नही सकता है, क्यों कि जितना मनुष्य को मिलना चाहिए उतना उसको मिल भी जाता है परन्तु फिर संतुष्टि नही मिलती है और यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है।
     SANTOSH HI JEEVAN KA PARAM SUKH HOTA HAI...मनुष्य को ईश्वर ने सब कुछ पूर्ण रूप से दिया है जैसे...आँख , कान ,बल,बुद्धि, हाथ,पाव इत्यादि सब कुछ पूर्ण रूप से दिया है उसके बाद भी मनुष्य को संतोष नही मिलता है। जरा उनको देखिए जिनके एक हाथ नही है , एक आंख नही है,एक पाव नही है,बुद्धि नही है,रहने का ठौर नही है,अनेको अंग नही है उनको देखिए तो शायद एहसास होगा कि ईश्वर ने हम सभी को सब कुछ पूर्ण रूप से दिया है उसके बाद भी हमारे भीतर धैर्य नही,संतोष नही है। क्यों कि वो कहा जाता है ना ....कि जिसके पास जो रहता है उसकी कीमत नही करते है और ज्यादा पाने की इच्छा की वजह से जो है उसका सुख भी नही भोग पाते है। 
     SANTOSH HI JEEVAN KA PARAM SUKH HOTA HAI...आज के समय मे वैसे सही मायने में देखा जाए तो इस दुनिया मे कोई भी संतुष्ट नही है...गरीब इंसान अमीर होना चाहता है,अमीर इंसान और ज्यादा अमीर होना चाहता है, कम सुन्दर लोग  सुन्दर होना चाहते है,कुँवारे लोग शादी करना चाहते है और शादी-शूदा लोग मरना चाहते है। अर्थात इस जहां में कोई संतुष्ट नही है सभी दुखी है और इसका कारण केवल एक ही है कि लोग आपने आप को समझ नही पा रहे है। जो जैसा है वैसा रहना नही चाहता है  बल्कि दूसरा जैसा है वैसा बनना चाहते है। जो कि सुखी का भाव इतना है कि जो तुमको तुम्हारे कर्मो के हिसाब से मिला है वह पर्याप्त है। केवल अपने आप को समझो और जो है तुम्हारे पास उसी में राजी हो जाओ परेशानी खत्म हो जाएगी संतुष्ट हो जाओगे और सबसे ज्यादा सुन्दर हो जाओगे...इस से ज्यादा मनुष्य को कुछ नही चाहिए...बस जो है उसी में संतुष्ट हो जाओ फिर आप को एहसास होगा कि फालतू में ही परेशान होते रहते थे।
      SANTOSH HI JEEVAN KA PARAM SUKH HOTA HAI...वो कहते है ना कि जो संतोष रखना वाला ही परम सुखी होता है। और जिसका निरोगी और स्वस्थ काया होती है वो भी परम सुखी होता है और जो सच्चे मन से मानव कल्याण हेतु समर्पित रहता है वो भी बहुत ही सुखी होता है। और वो कहते है ना कि जो तुम्हारे नसीब का है वो तो मिलेगा ही ,बस ईमानदारी और सच्चाई से अपने कर्मो को कीजिये और अपने आप से और अपने परिवार से प्रेम से हँसी-खुशी से अपने जीवन को निर्वाह करो और परमात्मा की भक्ति और मानव कल्याण एवं समाज सेवा के लिए सदैव आगे रहे।
धन्यवाद


@Amit anant
       Delhi

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